सैय्यारोँ के बीच बुन रहा था आज फिर एक सपना कि एक तारे ने टूट कर अपना तदबीर बता दिया । - Sarfraz Shahi
सैय्यारोँ के बीच बुन रहा था आज फिर एक सपना कि एक तारे ने टूट कर अपना तदबीर बता दिया ।
- Sarfraz Shahi