तेरी यादों के खरपतवारों से, बंजर हो गई है , मेरे दिल की जमीनअब इसमें नहीं उगेगा कोई भी पौधा प्यार का, अब इसमें नहीं खिलेगी कोई भी कली विश्वास कीअब खुशबू नहीं आएगी किसी भी फूल से उम्मीद की बस कुछ उदासी के नागफनी डसेंगे हर रोज - Sarfarosh satyam
तेरी यादों के खरपतवारों से, बंजर हो गई है , मेरे दिल की जमीनअब इसमें नहीं उगेगा कोई भी पौधा प्यार का, अब इसमें नहीं खिलेगी कोई भी कली विश्वास कीअब खुशबू नहीं आएगी किसी भी फूल से उम्मीद की बस कुछ उदासी के नागफनी डसेंगे हर रोज
- Sarfarosh satyam