22 MAY 2017 AT 22:35

तेरी यादों के खरपतवारों से,
बंजर हो गई है ,
मेरे दिल की जमीन

अब इसमें नहीं उगेगा
कोई भी पौधा
प्यार का,

अब इसमें नहीं खिलेगी
कोई भी कली
विश्वास की

अब खुशबू नहीं आएगी
किसी भी फूल से
उम्मीद की

बस कुछ उदासी के
नागफनी डसेंगे
हर रोज

- Sarfarosh satyam