तेरा ख़्याल हमेशा ही ज़हन में रहता है इसलिए ही मेरा दिन महका महका रहता है हकीकत ये है एक शहर में एक शख़्स नही एक शख़्स में एक शहर रहता है.... सारांश 'साया'
कविता हर हाल में लिखाती है जब आप खुश हों तब जब नया दुःख मिले तब जब कोई पुरानी ख़ुशी याद आये तब जब याद आ रहा हो पुराना दुःख तब जब व्यतीत हो प्रतिपल प्रतीक्षा में तब या फिर तब जब खुद को खोजने के अथक प्रयास में आप खुद को और खो दे तब... कविता किसी अवसर की मोहताज नहीं कविता हर हाल में लिखाती है.... सारांश 'साया'
छोड़कर सब प्रथाएं तुम तक आ जाऊंगा जाऊंगा ना फिर कभी मैं अगर तुम कहो.... जानता हूँ कठिन है डगर ये बहुत चल दूं मैं अनंत तक अगर तुम कहो.... सुकून का ज़रिया भी तुम्ही हो तुम्ही हर ख़ुशी प्यास मुझको जो लगी बन गई हो तुम नदी शब्द शब्द में समाहित हो बस एक तुम्ही भावनाएं भी तुमसे है खिल खिल उठी रिवायतों को मैं रख के सारी परे महाकाव्य लिख दूं अगर तुम कहो.... सारांश 'साया'