एक दिन उन्होंने यूँही पूछ लिया क्या कीमत लगाओगे हमारी बाज़ार में, हमने भी एक ही पल में जवाब दिया, कि कीमत तो क़ाबिल- ऐ- ज़खीरा चीजों की लगती है पर आप तो मेरी जाँ नायाब है।
मंदिर के बाहर बैठे गरीब बच्चे से मैंने यूँही पुछ लिया, क्या कीमत लगी है आजकल भगवान की? बडी लाचारी से वो नज़र उठा कर बोला, बीस में एक प्लेट मिल जाता है साहब और तीस में दो!