एक जमाना था जब हाथ में कागज़ कलम लिए रात भर लिखते फिर फाड़ कर कागजों का ढेर करते। आखिर जब लिखना खत्म होता तो सुबह होने को है तो वैसे नहा धो कर कॉलेज चले जाते। जब कॉलेज के मैगज़ीन में छपती थी तो एक अजीब सा एहसास होता था।
अब ज़माना बदल गया है। हम स्मार्ट फ़ोन पर लिखते फिर YQ पर पोस्ट करते। वैसे तो अनजान हैं सब यहां, फिर भी लाइक्स का इंतज़ार करते।
धन्यवाद YQ और मेरे दोस्तों ।
- Santosh Naik