क्या तुम मुझसे अभी भी प्यार करते हो?
उसने दबी आवाज़ में अपना चेहरा घुमाते हुए पूछा,
"तुम्हें क्या लगता है, तुम ही बताओ, क्या मैं करता हूँ?
क्या मालूम? अब ये सवाल भी बेईमानी सी लगती है
प्यार करना और करते रहना, क्या ये इतना आसान है?
आज तुम्हें क्या हुआ, ऐसे तुम ऐसे क्यों बात कर रही हो मैंने थोड़ा संभल कर पूछा.
यूंही, मुझे अक्सर ऐसा लगता है कि मैंने एक बार तुमसे प्यार किया और उसके बाद किसी
से नहीं कर पाई, तुम जब भी सामने आते हो मेरी आँखें उम्मीदों से बँध जाती हैं
मैं अपनी अभी की ज़िन्दगी को भूल कर फिर से तुम्हारे साथ हो जाती हूँ, चाहे वो पल भर के लिए ही क्यों न हो
मैं जब भी तुम्हें देखती हूँ तो फिर से वही मैं हो जाती हूँ पर तुम।
मैं, मैं क्या?
तुम अब वो नहीं लगते हैं, तुम्हारी आँखों में मुझे अब वो कसक नहीं लगती
ऐसा लगता है कि तुम आगे बढ़ गए हो और मैं, मैं वही खड़ी हूँ
किसी चमत्कार की उम्मीद में, वैसे उम्मीद तो खैर मुझे भगवान से भी अब नहीं।
पर तुमसे ना जाने क्यों हर बार लगा लेती हूँ, और तुम भी तो हर बार उम्मीद तोड़ जाते हो
क्या ये सब इतना आसान है? मैंने पूछा
आसान? क्या हम गणित का कोई सवाल कर रहे हैं, जो तुम आसान या मुश्किल पूछ रहे हो
इतने प्रैक्टिकल कब से हो गए तुम, तुम तो ऐसे नहीं थे, प्रैक्टिकल तो मैं थी ना पहले
तुम तो नहीं सोचते थे इतना. फिर
खैर मैं ही पागल हूँ जो तुमसे हर बार उम्मीद लगाती हूँ और तुम हर बार उसे तोड़ने से नहीं कट राते
मैं सिर झुकाए उसकी सारी बातें को इत्मिनान से सुनता रहा
जैसे मैं चाहता था कि वो बोल दे आज सारी बातें दिल की आज
और कर दे अपने आप को मुक्त इन सब बातों के भोज से जो उसने दबाए रखे थे एक अर्से से
"तुम्हें याद है हमें एक बार साथ में आइस गोला खाया था," मैंने उससे कहा
हाँ तो, उसने झल्लाते हुए कहा,
"कुछ नहीं, बस चेक कर रहा था कि कुछ अच्छी बातें भी याद हैं या बस शिकायतें बच गईं दरमियान हमारे।"
मैंने कॉफी का आखिरी सिप पीते हुए कहा और फिर
फिर हम अपने अपने रास्ते निकल हो लिए।
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