ज़िंदगी में किसी के मौजूदगी से, कुछ ऐसा फर्क आ गया है
मेरे वजूद के नदियों में, समंदर सा तूफ़ान आ गया है
शिकायत है, सुकूं है, सिद्दत है, शांत हृदय भी है
एक बस तेरे होने से, बेरंग कैनवास पर रंग आ गया है
तुम्हारे साथ चलते चलते मिल ही जायेगी मंजिल
सफर को रास्तों पर एक नया यकीन आ गया है
अंधेरे में भटकने से रोक लेती है तेरी बस एक आवाज़
तूफ़ान में डूबते मेरे सफीने को, साहिल नजर आ गया है
आंखों में चमक, चेहरे पर मुस्कान, दिल आबाद लगता है
तुझे जुल्फें संवारते देख, पतझड़ में सावन साखुमार लगता है
इक बस तेरे होने से कितना कुछ फर्क आ गया है
बेनूर सी मेरी कहानी में, तुझ जैसा खूबसूरत मोड़ आ गया है
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