वो मेरे राह-ए-ख़वाबिदा को रूमानी कर गईमेरे झुठे ख़्वाबों को सच कर गईदुःखी सुरत को ख़ुश कर गईजो ज़ख़्म भरने के लिए दवा पी रहा था उसे वो ज़हर कर गई। - Sanjaykumar sahu
वो मेरे राह-ए-ख़वाबिदा को रूमानी कर गईमेरे झुठे ख़्वाबों को सच कर गईदुःखी सुरत को ख़ुश कर गईजो ज़ख़्म भरने के लिए दवा पी रहा था उसे वो ज़हर कर गई।
- Sanjaykumar sahu