14 DEC 2017 AT 19:17

वो मेरे राह-ए-ख़वाबिदा को रूमानी कर गई
मेरे झुठे ख़्वाबों को सच कर गई
दुःखी सुरत को ख़ुश कर गई
जो ज़ख़्म भरने के लिए दवा पी रहा था
उसे वो ज़हर कर गई।

- Sanjaykumar sahu