Sanjay Singh   (Sanjay Singh)
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love the life in your way
Joined 8 March 2017


love the life in your way
Joined 8 March 2017
30 JAN 2023 AT 3:08

कब,न जानें, कौन यहां किस रंग सा हो जाएं,
जनाब, गिरगिट भी यहां उतने ना रंग बदल पाएं,
मौके जिंदगी में यहां कई बार दिए कइयों को,
मगर पारखी में बमुश्किल हि कोई पार हों पाएं |

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11 APR 2022 AT 19:12

उलझने,रिस्तो के हिस्से का पुराना किस्सा हैं,
रिस्ते जबसे ज्यादा समझदार क्या हुई, ....
हर तरफ़ नादानिया हि इसका हिस्सा हैं l— % &

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11 FEB 2022 AT 13:09

वो सुबह उठे एक जमाना हुआ,
जब हम सब झगड़ते,.... माँ से कहते थे,...
वो मेरी पेन्सिल ले लिया,वो मेरी चोटी खिंचा है,
रुक आने दे पापा को,...पापा से मार खिलाउंगा,
आज शिकायत करके तेरी तुझको सबक सिखाउंगा,
अम्मा के हाथों से खाके फ़िर खुब रहिसी दिखलाउंगा,
वो सुबह उठे एक जमाना हुआ...

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11 FEB 2022 AT 12:57

कुछ डूब के उबरे हैं, तो कुछ ऊब के डूबे हैं ...
तकल्लुफ़ तो बस इतना हैं, कि
कुछ सोच मे उलझे हैं तो कुछ उलझनो के सोच मे हैं..

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7 FEB 2022 AT 2:17

जरा सी फ़नकारी आते हि,यहां लोगो को उस्ताद बनते देखा है,
कैसे करेगा कोई तुलना आपके किरदार कि, आप मे फ़नकारी को सवरते देखा है,
धन्य हैं,हे स्वर साम्राग्यी आप,आपमे माँ सरस्वती कि आभा देखा है,
... खोके आज आपको, सूर के दुनिया को, अधूरा देखा है l

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5 FEB 2022 AT 14:29

प्रेम से इतना लरजते क्यो हैं,
इसके अनुभवों से डरते क्यों है,
इसमे इतना उलझते क्यों है,
शिकायते यहाँ किसको नहीं है
अगर .....
इतना डरते हैं,तो इश्क़ करते क्यों है ?

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3 FEB 2022 AT 19:41

सबने अपने अपने हिस्से कि बातो से शमा बान्ध डाला था,
मैने खामोशिया जो साझा कि,सब ओर छाया शियापा था,
मै शिकायतो का पुलिन्दा खोलता कैसे सरे-महफ़िल में,
जुबा खोलते हि चारो ओर कोहराम मच जाना था !
अपनो के महफ़िल में अपनेपन का मुखौटा टूट जाना था ,
इसलिये खामोशिया को शब्दो के कोहराम से बचा रखा था,

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29 JAN 2022 AT 18:27

ये अच्छा सलिका तुम्हारा,एक नायाब नमूना हैं,
रिस्ते में होके,रिस्तो कि फ़जिहत का जागता नमूना है,
ये तरिका,जो तुम दुसरो को देखने का खूब रखते हो,
आईना संग रखा करो खुद को निहारना भी एक तरिका हैं,
ये जो सब के सब फ़से बैठे एक दुसरे के उधेड़बुन मे,...
गर खुद को फ़ुरसत में तराशे तो,सुधार का सबसे नायाब तरिका हैंl

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28 JAN 2022 AT 17:00

मुझसे मुखातिब होके हवाये शर्द हो गयी,
आगे क्या बढ़ी बिखर के फ़र्श पे बारिश हो गयी|

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28 JAN 2022 AT 16:55

इतनी जल्दि में हो के सफ़र पे निगाह हि नहीं ,

बाते साथ और अपनेपन कि मत हि किया करो,...

यार ये बाते झूठे मुंह से फ़बति हि नहीं ...|

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