ये आंकड़े हाय ये आंकड़े, दिल दहलाते हैं ये आंकड़े अपनों को अपनों से जुदा करके, बढ़ते रहते है आंकड़े न्यूज मीडिया में संवेदना तब आती है जब ,घर उनके आते है आंकड़े ये आंकड़े हाय ये आंकड़े , दिल दहलाते हैं ये आकड़े
ऐ ख़ुदा, रहमत आज अपनी हिंदोसतांं में बसा दो मौत, खौफ़, दहशत से परेशां अपने बंदों को दुआ दो हर शख्स के अश्कों को लबों के मुस्कान में तब्दील कर ये दूरियां कम नज़दीकियां हाय आफत संवेदना सीखा दो