तुम भी ना एक किताब की तरह ही हो जिसे जब जब पढ़ा करती हूँ, सबसे जुदा, फिर नया कुछ पाती हूँ। - Dr.Sanjana Heda 'Sana'
तुम भी ना एक किताब की तरह ही हो जिसे जब जब पढ़ा करती हूँ, सबसे जुदा, फिर नया कुछ पाती हूँ।
- Dr.Sanjana Heda 'Sana'