ज़िंदगी मुझसे भी मिल
हर दफा हाथ छुड़ाना जरूरी है क्या।।
माना की हम सह लेते हैं हर सितम तेरे
फिर भी हर बार दिल दुखाना जरूरी है क्या।।
कोशिशें बहुत करते हैं की
नहीं अपनाएंगे किसी को
कोई जताए भले कितना भी
नहीं पास लाएंगे किसी को
फिर भी हार ए दिल बेचारा
इसको इतना दरिया बनाना जरूरी है क्या।।
लोग आते हैं दर्द लिए
मरहम लगवाने को
कुछ दर्द कम करने
कुछ मिटाने को
दवा कर देते हैं हम हर दफा
हमें यूं बस दवाखाना बनाना जरूरी है क्या।।
हम तो बिखेरे रहते हैं
सितारे ज़मी पर
रखते नहीं कोई
मोहब्बत में कमी पर
तोड़ना, बिखेरना, छल्ली कर जाना
यूं हर दफा हमें सताना ज़रूरी है क्या
ज़िंदगी मुझसे भी मिल
और मिलकर मेरी ही हो जा ,
हर दफा हाथ छुड़ाना जरूरी है क्या।।
माना की हम सह लेते हैं हर सितम तेरे
फिर भी हर बार दिल दुखाना जरूरी है क्या।।
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