बड़ी अजीब कश्मकश सी हो रही है,
संभालता था ज़िन्दगी भर जिसको,
आज उसको मुझिसे घुटन हो रही है,
शायद अब वो बच्ची बड़ी हो रही है ।
याद है मुझको जब सहम कर मुझसे लिपट जाया करती थी,
चाहे जितना डांट लगाता लौटकर मेरे ही पास आया करती थी,
फिर गले से लगकर सबकुछ भूल जाया करती थी,
एक किस्सी देकर मुझे भी शांत कराया करती थी,
चलना सिखाया था बरसो पहले जिन पैरो पर,
आज उन्ही पैरो पर फिर से खड़ी हो रही है,
शायद अब वो बच्ची बड़ी हो रही है,
शायद अब वो बच्ची बड़ी हो रही है ।
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