Samrat Viplove Chaudhary   (Samrat)
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Doctor/Social worker/Entrepreneur/Writer/Poet/AASHIQ
Joined 5 January 2018


Doctor/Social worker/Entrepreneur/Writer/Poet/AASHIQ
Joined 5 January 2018
31 AUG 2021 AT 23:10

बड़ी मशक्कत से सवालों ने तुम्हे जवाब माना है
ठहर के तुम पर, हमने वाजिब मकाम जाना है

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31 AUG 2021 AT 22:53

इक रोज आधी रात को मुझे चांद ने बताया था
मेरी याद ने तेरी नींद में खलल बड़ा मचाया था

कैसे सोता चैन से, सब जीत जाने वाला भी
वो जीत कर हारा था, मुझे, चांद ने बताया था

इक शख्स रह रहा है , यहां, मेरे साथ
उठना, बैठना, सोना, सब एहसास मेरे साथ
संभलना शख्सियत है मर्द -ए - इफ्तिखार
इक रोज़ आधी रात को मुझे चांद ने बताया था

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19 JUL 2021 AT 21:16

कितना अच्छा होता,
यह वक्त थम सा जाता
बारिश यूं ही होती,
हवा की मौज मनाता

तुम कैद से दूर रहती
मैं दिनचर्या भूल जाता
कितना अच्छा होता
यह वक्त थम सा जाता

सावन की चाहत में
आषाढ़ फलफूल जाता
तुम हठ खेलियां करती
मैं मिट्टी से महल बनाता
कितना अच्छा होता
यह वक्त थम सा जाता

तेज हवा के झोकों से
झुमका तेरा चूम आता
कितना अच्छा होता
यह वक्त थम सा जाता
कितना प्रशंसनीय होता
यह वक्त थम सा जाता

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सम्राट

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11 JUN 2021 AT 22:01

तुझे मालूम है मै दिल्ली जीतने का ख्वाब रखता हूं
विन्रमता, सद्भाव, कौशल अपार रखता हूं ।
मुझे इन बेड़ियों में बांधने की कोशिश न कर
परिंदा हूं, हौसलों में उड़ान रखता हूं।।

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11 JUN 2021 AT 21:49

तेरे सवाल का जबाब न दूं तो
रूठजाने का अधिकार भी न दूं तो
यूं हिकारत भरी नजरों से नवाज लेना
मेरी मोहब्बत को अल्फाज भी न दूं तो!

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21 MAY 2021 AT 23:14

"आइना बोल पड़ा, बदल गए हो तुम"

बिगड़ गए हो तुम या संभाल गए हो तुम।
कुछ तो हुआ है, जो बदल गए हो तुम।।

देखा नहीं , कई रोज से दाढ़ी संभालना
उसमें से सफेद बाल खोज कर निकालना।
बालों को अब मौज से रंगते नहीं हो तुम
सावन में नन्हे फूलों से खिलते नहीं हो तुम

आइना बोल पड़ा , बदल गए हो तुम

फिर पूछा, मैने हैरत से , क्यूं, तुमको ऐसा लगता है?
मेरी दाढ़ी, मेरा रंगना , क्यूं तुमको बदला लगता है?


चेहरे पर वो नूर नहीं, जो सूर्य सरीखा फलता है
वो बोला मेरे यार का अब रंग जुदा सा लगता है
दौर जमाना बोलेगा, कुछ परिवर्तन की खाई है
चंदन ब्रह्म, मृदु भाषी ने खासी करवट पाई है

क्यूं मुझको ऐसा लगता है!
और जानना चाहते हो तुम?


आइना बोल पड़ा, बदल गए हो तुम

खैर सुनो, बात करेंगे , नई रात्रि बेला हम
आइना बोल पड़ा, बदल गए हो तुम।

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21 MAY 2021 AT 23:10

"आइना बोल पड़ा, बदल गए हो तुम"

बिगड़ गए हो तुम या संभाल गए हो तुम।
कुछ तो हुआ है, जो बदल गए हो तुम।।

देखा नहीं , कई रोज से दाढ़ी संभालना
उसमें से सफेद बाल खोज कर निकालना।
बालों को अब मौज से रंगते नहीं हो तुम
सावन में नन्हे फूलों से खिलते नहीं हो तुम

आइना बोल पड़ा , बदल गए हो तुम

फिर पूछा, मैने हैरत से , क्यूं, तुमको ऐसा लगता है?
मेरी दाढ़ी, मेरा रंगना , क्यूं तुमको बदला लगता है?


चेहरे पर वो नूर नहीं, जो सूर्य सरीखा फलता है
वो बोला मेरे यार का अब रंग जुदा सा लगता है
दौर जमाना बोलेगा, कुछ परिवर्तन की खाई है
चंदन ब्रह्म, मृदु भाषी ने खासी करवट पाई है

क्यूं मुझको ऐसा लगता है!
और जानना चाहते हो तुम?


आइना बोल पड़ा, बदल गए हो तुम

खैर सुनो, बात करेंगे , नई रात्रि बेला हम
आइना बोल पड़ा, बदल गए हो तुम।


होता है अक्सर उम्र में शौक बदल जाते है
आइना समझ जाता है कब लोग बदल जाते हैं।।

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12 DEC 2019 AT 21:18

गुल-ए-शहर का चेहरा घिनौना है
वो अब, गैर के बिस्तर का खिलौना है।।

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6 DEC 2018 AT 17:47

कि जैसे जैसे बड़े होते जा रहे हैं।
नज़रों में, लोग गिरते जा रहे हैं।

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19 NOV 2018 AT 13:15

इश्क़ भी बुरा है, तो भला क्या है?
और अगर वो भला है, तो बुरा क्या है?

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