"आइना बोल पड़ा, बदल गए हो तुम"
बिगड़ गए हो तुम या संभाल गए हो तुम।
कुछ तो हुआ है, जो बदल गए हो तुम।।
देखा नहीं , कई रोज से दाढ़ी संभालना
उसमें से सफेद बाल खोज कर निकालना।
बालों को अब मौज से रंगते नहीं हो तुम
सावन में नन्हे फूलों से खिलते नहीं हो तुम
आइना बोल पड़ा , बदल गए हो तुम
फिर पूछा, मैने हैरत से , क्यूं, तुमको ऐसा लगता है?
मेरी दाढ़ी, मेरा रंगना , क्यूं तुमको बदला लगता है?
चेहरे पर वो नूर नहीं, जो सूर्य सरीखा फलता है
वो बोला मेरे यार का अब रंग जुदा सा लगता है
दौर जमाना बोलेगा, कुछ परिवर्तन की खाई है
चंदन ब्रह्म, मृदु भाषी ने खासी करवट पाई है
क्यूं मुझको ऐसा लगता है!
और जानना चाहते हो तुम?
आइना बोल पड़ा, बदल गए हो तुम
खैर सुनो, बात करेंगे , नई रात्रि बेला हम
आइना बोल पड़ा, बदल गए हो तुम।
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