Sameera Sawant   (Sameera S.)
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Joined 22 December 2017


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Joined 22 December 2017
13 SEP 2022 AT 22:53

आजकल हर कोई सच मानता है वो बात
जो लफ्ज बयां कर देते है
कमबख्त आखों में जी भर के देखकर
सच पढ़ने का रिवाज जो बंद हुआ है

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16 JAN 2022 AT 22:46

चेहरे पे चेहरा लगाने की आदत सी हो गई है
सुकून से मुस्कुराए इक मुद्दत सी हो गई है
दिल के दर्द को हमने झूठी खुशियों से सजा लिया
और सबने इस फरेब को सच भी मान लिया

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9 JAN 2022 AT 23:01

लोग खुशियां ढूंढते फिरते है
और हम गम के दिवाने है
कुछ जिंदगी ने तोहफे में दे दिए
और कुछ हम खुदसेही खरीदके लाए है

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21 NOV 2021 AT 15:24

यूं तो किस्मत से कई गिले है
कई रिश्ते हमे मिलकर भी नही मिले है
तेरा मिलना भी किस्मत का ही खेल है
कल भलेही पड़े बिछड़ना,
पर आज के लिए तो यह रिश्ता मुकम्मल है

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13 NOV 2021 AT 0:48

हम मिले तो सही
पर सही वक्त पे ना मिले
अब जो मिले कोई और
काश वो तो सही मिले

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4 NOV 2021 AT 0:58

अब हममें कुछ नही बचा
ये मैने तभी जान लिया
जब मैने मुस्कुराकर कहा, ठीक हूं
और उसने इसे सच मान लिया

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27 OCT 2021 AT 0:37

कुछ जज्बात सिमट कर रह गए अंदर कही
कुछ बाते बस अनकही रह गई
उसने जाने से पहले एक बार मुड़के भी न देखा
और मेरी मोहब्बत यह बेवफाई भी सह गई

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21 OCT 2021 AT 23:14

You no longer belong there anymore or not valued enough.
Be it any place, people or relationship.

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10 OCT 2021 AT 10:32

तुम्हे आया ही नहीं हुनर कभी
बोलती आँखें पढ़ने का
पढ़ पाते तो समझ जाते
मतलब मेरी खामोशी का

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8 OCT 2021 AT 0:36

तू ढूंढता रहा खूबसूरती को जिंदगीभर
जबकि सादगी तेरे सामने खड़ी थी
तू उलझा रहा अपने ही झूठे गुरुर में आखिर तक
तेरे लिए मोहब्बत से ज्यादा दुनियादारी जो बड़ी थी

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