“वालदेन का साया न हो सर पर तो रंज होता है, उनके बिना हर त्यौहार बेरंग होता है। यूं तो मायूसी कुफ्र है, मालूम है मुझे, लेकिन इस दिल को कैसे मनाऊं, जो उन्हें हर पल याद करके रोता है। आता नहीं मुझे झूठा मुस्कुराना, वालदेन से बिछड़ने का गम वही जानता है, जो उन्हें खोता है।