Samarpit Singh Rathore   (Suketu)
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Joined 5 April 2018


Joined 5 April 2018
22 OCT 2019 AT 6:35

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10 JAN 2019 AT 23:36

मुक्तक
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बहर : हज़ज मुसम्मन सालिममुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
वज़्न :1222 1222 1222 1222
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बहुत छोटा था पर परिपक्वता को धार कर बोला ।
भगत सिंह उम्र के हर दायरे को पार कर बोला ।।

पिता जी खेत में बन्दूक बोनी चाहिए ताकी ।
छुड़ा ले हम वतन गोरो से उनको मार कर बोला ।।

- समर्पित सिंह राठौर

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14 NOV 2018 AT 20:56



बहुत ही टूट कर के हिज़्र की रातें बिताई है ।
बहुत चीखा है' दिल पर चुप्पियाँ लब पे सजाई है ।।

नही तुझसे गिला मुझको है' ये नाराजगी खुद से ।
मुहब्बत में तिरे क्यूँ ज़िन्दगी अपनी लुटाई है ।।

-कवि समर्पित सिंह राठौर

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9 NOV 2018 AT 21:37

मैं हर बंधन तोड़ कर उसकी, गली से मुंह मोड़ आया हूँ ।

मैं जीवन की वीणा से उसका, हर तार तोड़ आया हूँ ।।


कितना तड़पा हूँ मैं हर दिन, बयां कर पाना मुश्किल हैं ।

मैं श्मशान में अपनी मुहब्बत को जलता छोड़ आया हूँ ।।


- समर्पित सिंह राठौर


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3 NOV 2018 AT 13:56


मैं दर-ब-दर, अपने ख़ुदा की तलाश में फिरता रहा ।
मैंने ख़ुदा क्या पाया, बस निराशा में डूबा रहा ।।

थक-हार कर घर लौट, माँ की गोद में सर रखा तो ।
पाया ख़ुदा तो घर हि था..बे-वजह तलाशता रहा ।।

-कवि समर्पित सिंह राठौर

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1 NOV 2018 AT 15:24


एक मतला दो अशआर ।

तुर्बत को मेरी, मेरे महबूब का दीदार ना हुआ ।
मैं मर कर भी, उसकी वफ़ा का हक़दार ना हुआ ।।

उड़ता हैं मज़ाक इश्क का सरे-आम, इस जहां में ।
समझता ये दस्तूर, मैं इतना समझदार ना हुआ ।।

जिसे जान से ज़्यादा चाहा, जब अपना ना हुआ ।
मेरा जिस्म भी मेरी रूह से, फिर वफ़ादार ना हुआ ।।

- समर्पित सिंह राठौर

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1 NOV 2018 AT 1:08



तुर्बत को मेरी, मेरे महबूब का दीदार ना हुआ ।
मैं मर कर भी, उसकी वफ़ा का हक़दार ना हुआ ।।

- समर्पित सिंह राठौर

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30 OCT 2018 AT 0:27

वो चांद मेरे चांद को देख कर, दिल ही दिल में जलता होगा ।
मेरे चांद के दीदार को, वो हर दिन सजदे करता होगा ।।

- समर्पित सिंह राठौर

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27 OCT 2018 AT 9:28

कहीं तक भी वतन जिनकी इबादत में नही शामिल ।
वतन पर जान देना जिनकी चाहत में नही शामिल ।।

उन्हें तो मौत का ही दंड मिलना चाहिए बेशक़ ।
वतन की आबरू जिनकी मुहब्बत में नही शामिल ।।

- समर्पित सिंह राठौर

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27 OCT 2018 AT 9:20

अगर हो जंग हर गोली पे तेरा नाम लिख देंगे ।
तुने आगाज़ की पर हम तिरा अंजाम लिख देंगे ।।

अगर विष बीज़ बोयेगा हमारी आस्था में तू ।
तिरंगे गाढ़ कर घर में तिरे श्री राम लिख देंगे ।।

- समर्पित सिंह राठौर

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