मोहब्बत है तुमसे इस कदर हमें,
कि कुबूल है तेरी हर आदत हमें।-
हाँ कुछ दर्द छिपे हँ,
आज भी इस दिल में।
मोहब्बत में तुम्हारे हम निखर जाएंगे,
तुम्हारे लिए हम हर हद से गुजर जाएंगे।-
सिर्फ चाहत नहीं, मेरी इबादत हो तुम।
कैसे कहूँ तुमसे, मेरी मोहब्बत हो तुम।
बँधी हुई हूँ समाज के बंधनों से मैं,
वर्ना कह देती हमारे हो तुम।-
महफ़िल का दस्तूर है जनाब,
अक्सर मेहफ़िल में मिलने वाले,
अंदर ही अंदर तन्हा रहते हैं।-
तेरी बाँहों में आकर,
मैं फिर से जीना चाहूँगी।
तेरी होकर हमेशा के लिए,
मैं ये उम्र बिताना चाहूँगी।-
तब इंसान टूट जाता है।
वो फिर कभी किसी और से,
प्यार कर ही नहीं पाता है।-
पहले का प्यार
- तेरे न हुए तो किसी और के नहीं।
आज का प्यार
- तु नहीं तो कोई और सही।-