Sakshi JHA   (© Sakshi Jha)
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हाँ कुछ दर्द छिपे हँ,
आज भी इस दिल में।
Joined 12 May 2020


हाँ कुछ दर्द छिपे हँ,
आज भी इस दिल में।
Joined 12 May 2020
1 MAR 2022 AT 17:04

मोहब्बत है तुमसे इस कदर हमें,
कि कुबूल है तेरी हर आदत हमें।

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1 MAR 2022 AT 16:59

मोहब्बत में तुम्हारे हम निखर जाएंगे,
तुम्हारे लिए हम हर हद से गुजर जाएंगे।

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1 MAR 2022 AT 16:56

सिर्फ चाहत नहीं, मेरी इबादत हो तुम।
कैसे कहूँ तुमसे, मेरी मोहब्बत हो तुम।
बँधी हुई हूँ समाज के बंधनों से मैं,
वर्ना कह देती हमारे हो तुम।

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23 FEB 2022 AT 19:47

प्यार





धोखा

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23 FEB 2022 AT 19:46

खुद को भूल जाना।
सारे गमों को भूल,
तेरी खुशियों में खो जाना

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19 FEB 2022 AT 10:54

महफ़िल का दस्तूर है जनाब,
अक्सर मेहफ़िल में मिलने वाले,
अंदर ही अंदर तन्हा रहते हैं।

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19 FEB 2022 AT 10:50

तेरी बाँहों में आकर,
मैं फिर से जीना चाहूँगी।
तेरी होकर हमेशा के लिए,
मैं ये उम्र बिताना चाहूँगी।

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19 FEB 2022 AT 10:45

खामोश रहना भी जरूरी है साहब,
लोगों को जलाने के लिए।

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19 FEB 2022 AT 10:32

तब इंसान टूट जाता है।
वो फिर कभी किसी और से,
प्यार कर ही नहीं पाता है।

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19 FEB 2022 AT 8:31

पहले का प्यार
- तेरे न हुए तो किसी और के नहीं।
आज का प्यार
- तु नहीं तो कोई और सही।

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