Hireath🍁   (sakshi jain)
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Joined 4 December 2017


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10 OCT 2023 AT 14:30

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17 JAN 2022 AT 21:21

ये कैसे ख्याल हैं मेरे ,
जो करवट बदल रहे हैं ,
उस तरफ़ भी तुम्हें ही ढूँढ रहे थे ,
इस तरफ़ भी तुम्हें ही ढूँढ रहे हैं ।

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26 DEC 2021 AT 23:31

आजकल दौर ये हैं ,
की जो झूठ दुनिया मान जाए
वो सच हो जाता हैं ।

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24 DEC 2021 AT 23:44

जिससे वाकिफ़ हूंँ मैं , क्या वाजिब हैं वो ।

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23 DEC 2021 AT 12:35

सबसे अच्छी तस्वीरें तो आँखों में ही होती हैं ।

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15 DEC 2021 AT 15:35

मैं साफ़ नीला आसमां ,
वो शाम बनकर मुझे रंगीन कर गई ।

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14 DEC 2021 AT 23:55

ज़्यादा लगाव ही अलगाव का कारण बनता हैं ।

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12 DEC 2021 AT 22:18

अब ये जो सामने हैं हमारे ,
मकान हैं हमारा ,
हुआ करता था ये भी घर कभी . . .

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10 DEC 2021 AT 19:58

वो गया मेरी कहानी से कुछ यूँ ,
की फ़िर लौट कर ना आया ,
मेरी कविता में मगर ,
उसने मुड़कर देखा था ।

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8 DEC 2021 AT 19:05

कभी सोचू कुछ ऐसा ,
की लिखने को मजबूर हो जाऊँ ,
कभी लिखूँ कुछ ऐसा ,
की सोचने पर मजबूर कर दूँ ।

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