हम बाहर की नहीं अंदर की जंग से परेशान थे, लोग हमारी नादानियां देख कर हैरान थे, आंखों में नमी और होटों पर मुस्कान लिए, हम खुद अपने इस हुनर से अंजान थे।।
कुछ लम्हे तो कट गए, वो कुछ बेवफा लोगो में बट गए, घड़ी की सुई को पकड़ कर बैठा हूं, अब बस इसी बात को रटता रहता हूं, तुम्हें बस ये बताना चाहता हूं, अब बाकी उम्र तेरे संग बिताना चाहता हूं।।