27 JUN 2017 AT 23:44

नफ़रत का ठेकेदार हूँ
सियासत का धँधा करता हूँ
जब 'भगवा' होता हूँ, 'टोपी' से चिढ़ता हूँ
जब 'हरा' होता हूँ, 'तिलक' से बिफरता हूँ
नफ़रत का ठेकेदार हूँ, सियासत का धँधा करता हूँ
'इन्सान' क्या होते हैं, नहीं दिखते मुझे
मैं तो बस 'जात-पात' को ही समझता हूँ
नफ़रत का ठेकेदार हूँ, सियासत का धँधा करता हूँ
जो कभी 'धर्म का सीज़न' ऑफ हो
मैं रंग और भाषा के नाम पर भिड़ता हूँ
पूर्व वालों को 'चिंकी' - 'चीनी'
दक्षिण वालों को 'लुंगी' कहता हूँ
उत्तर वालों को 'फ़सादी' - 'आतंकवादी'
पश्चिम वालों को 'गँवार' - 'कंजूस' कहता हूँ
नफ़रत का ठेकेदार हूँ, सियासत का धँधा करता हूँ
अपनी 'विचारधारा' वाले को समझदार
सामने वाले को 'चमचा' कहता हूँ
नफ़रत का ठेकेदार हूँ, सियासत का धँधा करता हूँ
इस देश में हर कोई, भड़कना चाहता है
मैं यहीं अपना मुनाफ़े वाला धँधा करता हूँ
हमेशा सरेआम करता हूँ, भाई को भाई से लड़ाता हूँ
नफ़रत का ठेकेदार हूँ, सियासत का धँधा करता हूँ
- साकेत गर्ग

- साकेत गर्ग ’सागा’