4 NOV 2017 AT 1:55

लो जीत गयी सियासत, नफ़रत और फ़िरक़ा-परस्ती
सुना है आज फ़िर, दो बेगुनाहों का दिल दुखा है कहीं

- साकेत गर्ग

- साकेत गर्ग ’सागा’