14 JUN 2017 AT 16:50

एक-एक करके सब, रूठते जा रहे हैं
हाथ पकड़े थे जो, सब छूटते जा रहे हैं

अपना यार तो बस, एक यह 'ग़म' है
अब इसके साथ भी, मजे आ रहे हैं

- साकेत गर्ग

- साकेत गर्ग ’सागा’