25 NOV 2017 AT 2:28

चलो ख़त्म करते हैं यह रोज़-रोज़ की 'तक़रार'
तुम कर ही लो अब मुझ पर यह 'आख़िरी वार'

जिससे जीत हो 'हमारी' और हो जाये मेरी हार
सुनो! ऐसा करो, तुम आज कर ही दो 'इज़हार'

- साकेत गर्ग

- साकेत गर्ग ’सागा’