चलो ख़त्म करते हैं यह रोज़-रोज़ की 'तक़रार'तुम कर ही लो अब मुझ पर यह 'आख़िरी वार'जिससे जीत हो 'हमारी' और हो जाये मेरी हारसुनो! ऐसा करो, तुम आज कर ही दो 'इज़हार'- साकेत गर्ग - साकेत गर्ग ’सागा’
चलो ख़त्म करते हैं यह रोज़-रोज़ की 'तक़रार'तुम कर ही लो अब मुझ पर यह 'आख़िरी वार'जिससे जीत हो 'हमारी' और हो जाये मेरी हारसुनो! ऐसा करो, तुम आज कर ही दो 'इज़हार'- साकेत गर्ग
- साकेत गर्ग ’सागा’