Sagar Babanagar   (सागर बाबानगर)
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Joined 3 March 2018


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Joined 3 March 2018
29 APR 2023 AT 14:26

रोज विसाल- ए-यार हो ऐसी क़िस्मत कहाँ

ए वक्त, मुझे बस मेरे यारों से मिला दो!

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10 AUG 2020 AT 16:06

महफ़िल से तुम ऐसे उठे हो की ज़मीर नहीं, जमीन नहीं
लहू लुहान हो गया है दिल फिर भी तुमको यकीन नहीं

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2 AUG 2020 AT 9:37

जिंदगी गुज़ारनी हो तो जिंदा दिली से गुजारो ए ग़ालिब
बताओ! मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते है?

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16 JUL 2020 AT 20:48

उसके जमाल की तारीफ क्यो करता है हर आईना
उसके विसाल से उसका क्यो हो जाता है हर आईना!

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9 JUL 2020 AT 11:04

कौन है मेरा अब तेरी मोहब्बत के सिवा
और क्या हसीन होगा अब इस राहत के सिवा!

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8 JUL 2020 AT 22:56

तौफ़ीक़ ए इश्क़ की अब क्या बात करें हम ए ग़ालिब,
उसके लिए कई बार खुद से बेवफ़ाई कि है हमने!

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8 JUL 2020 AT 11:08

क़लम की नोंक पर तेरी स्याही है जब तक
क़लम की सांसें यूँही चलेंगी तब तक!

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30 JUN 2020 AT 21:15

जुल्फों में तेरी बेशक़ रोज शाम होती है
पता नहीं कैसे तुझमें रात रोज तमाम होती है

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25 JUN 2020 AT 10:58

कभीकबार अपने गिरेबान में झाँककर देखना अच्छी बात है
खुद का पता चलेगा जरूर एक दिन ए ग़ालिब ,सच्ची बात है!

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24 JUN 2020 AT 10:47

टालना है तो सरेआम टालो हमें ए जानेमन
यूँ गिन गिन के सबब देना अच्छी बात नहीं!

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