एकांत का तुम दीदार करो, बस मौन तुम्हारा साथी है । संसार दुखों की नगरी है, ये केवल दुख की झांकी है । तुम हाथ है जिसका थाम रहे, वो स्वार्थ का अभिलाषी है । तुम सांस रहे हो समझ जिसे, वो हवा ही हवा बाकी है ।।
लिखूंगा एक गज़ल भी, इतनी जल्दी क्या है ? अभी तो बस मैं टूटा हूं, तेरी यादों में होना है दफ़न भी । इतनी जल्दी क्या है ? लिखूंगा एक गज़ल भी, इतनी जल्दी क्या है ?