Sachin Om Gupta   (Sachin Om Gupta)
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Joined 30 October 2017


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Joined 30 October 2017
4 NOV 2018 AT 9:46

अब जब भी मैं तन्हा होता हूँ
तेरे नाम का एक ख़त लिख लेता हूँ।


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25 OCT 2018 AT 13:37

कभी-कभी हम इतने खो जाते हैं
अतीत की यादों को लेकर रो जाते हैं
अब तो नींद भी नहीं आती है रातों में, पर
क्या करें उनको ख्वाबों में देखने के लिए सो जाते हैं।


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18 OCT 2018 AT 10:55

सुनो तुम...
एक अरसें हो गए हैं तुम्हारे दीदार किए हुए
शायद अब इंतजार भी थक सा गया है
आँखों के कोनों में पानी भी ठहर सा गया है
शरीर मे बहता लहू भी अब जमने सा लगा है
बस अब चले आओ कि भर लूँ तुम्हें अपनी बाहों में
और चूम लूँ तुम्हारे माथे को, कि
एक अरसें हो गए हैं...



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17 OCT 2018 AT 18:33

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17 OCT 2018 AT 13:49


17 OCT 2018 AT 13:19


17 OCT 2018 AT 13:10

कभी-कभी ख़ामोशी को भी सुन लिया करो
अक्सर सन्नाटे में कुछ कह जाती हैं...

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17 OCT 2018 AT 12:59

हर मौसम की रातें लंबी होने लगेंगी
बस इक बार इश्क़ को गले लगाकर तो देखिए।


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15 OCT 2018 AT 11:05

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15 OCT 2018 AT 9:04

मैं चित्रकूट का घाट तेरा
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तुमसे ही सम्मान मिला है,
तुमसे ही पहचान मेरी
तुम गंगा का बहता पानी,
मैं चित्रकूट का घाट तेरा ।

तुम बन जाओ मेरी प्रेयषी गंगा,
मैं बन जाऊँ अनुरागीं तेरा
तुम गंगा का बहता पानी,
मैं चित्रकूट का घाट तेरा ।

कंदमूल, वानर है सब मेरे साथी,
तुम बन जाओ गंगा सखी मेरी
तुम गंगा का बहता पानी,
मैं चित्रकूट का घाट तेरा ।

मैं अधूरी मेरे राम के बिना
तुम बन जाओ सीता मेरी,
मैं बन जाऊँ राम तेरा
तुम गंगा का बहता पानी,
मैं चित्रकूट का घाट तेरा ।

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