कॉलेज की मेरी यादें उन चंद लोगों में सिमट जाती है,
अकेला जब भी होता हूं, उनकी याद बहुत आती है ।
वो रोज़ रोज़ क्लास बंक करना,
और फिर जाके कैंटीन में लंच करना,
और जब भी वो गेट की तरफ जाते हैं,
आवाज़ आती है - चल भाई, सुट्टा मारके आते हैं ।
एक की लड़ाई में वो सबका आना,
साथ में मारना, साथ में मार खाना,
पीछे बैठकर क्लास में वो गाना,
पकड़े जाने पर टीचर से डांट खाना ।
आज वो पल जब भी याद आते हैं ,
चेहरे पे मुस्कुराहट, आंखो में आंसू लाते हैं ,
जैसे भी थे वो, मेरे दिल को बहुत भाते हैं ,
आज इस अकेलेपन में, वो दोस्त बहुत याद आते हैं,
वो दोस्त बहुत याद आते हैं ।
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