शौक़ हमें भी हे,शायरी-ऐ-तारीफ़ का।और लिखते भी हम ख़ुद क़ी है।बस सुनाते नहीं किसी को।क़ोई और तुम्हें पढ़े।यें हमसे देखा नहीं जाता। - Rushal
शौक़ हमें भी हे,शायरी-ऐ-तारीफ़ का।और लिखते भी हम ख़ुद क़ी है।बस सुनाते नहीं किसी को।क़ोई और तुम्हें पढ़े।यें हमसे देखा नहीं जाता।
- Rushal