21 OCT 2017 AT 23:17

शौक़ हमें भी हे,शायरी-ऐ-तारीफ़ का।
और लिखते भी हम ख़ुद क़ी है।
बस सुनाते नहीं किसी को।
क़ोई और तुम्हें पढ़े।
यें हमसे देखा नहीं जाता।

- Rushal