24 FEB 2018 AT 19:30


ये क़लम मुझे बेहतर समझती है|
खुद-ब-खुद ही लिखने लगती है|
बस ज़रासी छूने की कोशिश और,
जज़्बातों को क्या बखूबी उतारती है|

- Dr. Rupali