फिर धीरे धीरे एक खयाल दिमाग में दस्तक देने लग जाता हैं कि लोग कैसे किसी घटना शख्स या कुछ बेहद जरूरी दर्दनाक को भुला पाते है। क्या उन दिमाग में रखी डायरी से भी दीमक । हर्फ दर हर्फ शब्द दर शब्द , याद दर याद मिटाते होंगे।या हम यूं की किसी सुबह उठते होंगे और वो डायरी गायब । अगर दूसरा वाला है तो क्यों लोग कुछ घटना वक्त और शख्स भुलाने में सालों लगाते हैं? क्यों नही सुबह उठते है और सब कुछ भूल जाते हैं।