एक स्त्री उस कमल के सामान है जो समाज रूपी कीचड़ के बीच होते हुए भी पवित्र होती है तुम लाख उस पर कीचड़ उछालो हाथ तुम्हारे ही गन्दे होंगे कमल की पवित्रता कायम रहेगी..😊 - रूपम बाजपेयी "रूप" Writer Sahiba
एक स्त्री उस कमल के सामान है जो समाज रूपी कीचड़ के बीच होते हुए भी पवित्र होती है तुम लाख उस पर कीचड़ उछालो हाथ तुम्हारे ही गन्दे होंगे कमल की पवित्रता कायम रहेगी..😊
- रूपम बाजपेयी "रूप" Writer Sahiba