RV ✍   (Dayar-e-Khawab ✍)
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Joined 6 January 2019


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6 DEC 2023 AT 8:31

फूलों से अब उतना ही लगाओ है मुझे
जितना कभी तुमसे हुआ करता था यहाँ।

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6 DEC 2023 AT 8:27

हम बस अब कहने को ही नहीं कहते हैं
हम जब निभाते हैं तो बस निभाते चले जाते हैं।

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5 DEC 2023 AT 23:05

मेरे हौंसले कम नहीं थे
बस मेरी लड़ाई ही मेरे अपनों से थी।
कि उसका जाना मुझ पर यूं असर कर गया
कि बाद उसके बस फिर मैं कभी घर नहीं गया।

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5 DEC 2023 AT 22:44

नहीं था अपना फिर भी अपना अपना लगा
कि उसके जाने के बाद उसका शहर अपना लगा।

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5 DEC 2023 AT 22:08

उसका ना आना जब अब तह है
तो फिर ये इंतजार क्यों कम नहीं होता।

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5 DEC 2023 AT 22:04

खुद ही में गुम तलाश खुद की कर रहा हूँ
मैं कुछ दिनों से इस ही जादो जहद में मुबतला हूं।

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4 SEP 2023 AT 9:58

Real world se pata nahin kab reel world main busy ho gye
Pata nahin kab Rishte reet ki tarah hathon se phisalte chale gye ..

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4 SEP 2023 AT 8:41

उसका ना आना जब अब तह है
तो फिर ये इंतजार क्यों कम नहीं होता।
ये कैसा इंतजार है जो अब खत्म ही नहीं होता
और ये कैसा इश्क है मेरा जो कम ही नहीं होता।
कहीं भी बैठ बस उसका आने का इंतजार करना
जो नहीं शहर तक उसका वहां भी उसका ही इंतजार करना।
लोग कहते हैं भूल जा उसे
पर‌ वो कैसे होता है ये मुझे क्यूं समझ नहीं आता।
कि मेरा ही इश्क अधूरा था या अधूरा इश्क यह हमारा है
बस यही सवाल के लिए हर नए शहर में इंतजार उसका है।

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4 SEP 2023 AT 8:35

बहुत कुछ छोड़ रखा है तेरे भरोसे अब ये वक्त
कि इस बार जो तू आए तो सब लेते हुए आना अब ए वक्त।

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4 SEP 2023 AT 8:24

नहीं मालूम क्यों मुझे यूं लगता है काई बार यहां
कि टाल कर सवाल मेरे तुम्हें अंजान बना रहना है यहाँ।

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