14 JAN 2018 AT 8:33

वो स्कूल के दिनों की मीठी सी बातें याद आती हैं,
वो बचपन की फटी हुई जुराबें याद आती हैं।
जाने कहा खो गए वो सब कुछ।
वो स्कूल की किताबें बहुत याद आती हैं।
हा सच हैं जुराबें फटी होती थी हमारी भी ,
पर जो मजा आता पहनने का उन्हें,
वो मस्ती स्कूल की अब भी याद आती हैं।

- रोहित भारद्वाज