आज कल का इश्क बस उस फ़टे मोजे जैसा हैं,जिसमे छेद होते ही फेक दिया जाता हैं,कोई सुई से उसे ठीक करने की कोशिश नही करता,अच्छा हुआ हम गरीबी में पैदा हुए,हमे ये रस्म निभानी आती हैं। - रोहित भारद्वाज
आज कल का इश्क बस उस फ़टे मोजे जैसा हैं,जिसमे छेद होते ही फेक दिया जाता हैं,कोई सुई से उसे ठीक करने की कोशिश नही करता,अच्छा हुआ हम गरीबी में पैदा हुए,हमे ये रस्म निभानी आती हैं।
- रोहित भारद्वाज