ना समझ बोझ खुद को बहन,तू खुद में एक दुनिया हैं,जो कर न सके कोई मर्द इस दुनिया में,तू वही एक कारनामा हैं - उन्मुक्त स्याही "SaaR"
ना समझ बोझ खुद को बहन,तू खुद में एक दुनिया हैं,जो कर न सके कोई मर्द इस दुनिया में,तू वही एक कारनामा हैं
- उन्मुक्त स्याही "SaaR"