कितना कुर्बां हुआ मैं इश्क़ में,ना जाने क्यों मेरी मोहब्बत मुकम्मल न हुयी.....! - उन्मुक्त स्याही "SaaR"
कितना कुर्बां हुआ मैं इश्क़ में,ना जाने क्यों मेरी मोहब्बत मुकम्मल न हुयी.....!
- उन्मुक्त स्याही "SaaR"