कभी पिला कर जाम अपनी निगाहों से,पूछती है वो कितना नशा है मेरी निगाहों में,हमने भी आईने के सामने बैठा कर उनको,उनसे उनकी नज़रे मिला दी......! - उन्मुक्त स्याही "SaaR"
कभी पिला कर जाम अपनी निगाहों से,पूछती है वो कितना नशा है मेरी निगाहों में,हमने भी आईने के सामने बैठा कर उनको,उनसे उनकी नज़रे मिला दी......!
- उन्मुक्त स्याही "SaaR"