25 FEB 2018 AT 21:24

दिल हुआ बेईमान मेरा,
देख कर तुम्हारी लचक को,
पागल सा भटक रहा हूँ तुम्हारी गलियों में,
बस तुम्हारे दरस को....!

- उन्मुक्त स्याही "SaaR"