14 AUG 2017 AT 19:05

आग जो लगी हैं मेरे सीने में,
उसके दिए ज़ख्मो को हरा कर रही हैं,
वो क्या जाने इस तड़पन को,
जो मेरे दर्द में नमक भर रही हैं....!

- उन्मुक्त स्याही "SaaR"