आग जो लगी हैं मेरे सीने में,उसके दिए ज़ख्मो को हरा कर रही हैं,वो क्या जाने इस तड़पन को,जो मेरे दर्द में नमक भर रही हैं....! - उन्मुक्त स्याही "SaaR"
आग जो लगी हैं मेरे सीने में,उसके दिए ज़ख्मो को हरा कर रही हैं,वो क्या जाने इस तड़पन को,जो मेरे दर्द में नमक भर रही हैं....!
- उन्मुक्त स्याही "SaaR"