मैं वैरागी हूँ... महादेव नहीं
पर तुम्हारी काया से अधिक तुम्हारी आत्मा को चाहूंगा
मैं प्रेमी हूँ... कान्हा नहीं
पर तुम्हारे नाम को सदैव अपने आगे लगाऊंगा
मैं मर्यादित हूँ... श्री राम नहीं
पर तुम्हारे अलावा मैं किसी और का नहीं हो पाउँगा...-
अगले जन्म मुझे तू ही माँ के रूप में मिले!
कि
अगले जन्म मुझे तू ही माँ के रूप में मिले!!
सात जन्मों तक नही मुझे तेरे आचल का छाव
हर जन्म मिले-हर जन्म मिले... माँ-
कपड़ो पर लगा दाग तो धूल सकते हो!
मगर चरित्र पर लगा दाग कैसे धुलोगे!!
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पल मे "हैं" को "था" मे बदल देता हैं
सारी खुशियों को गम मे तब्दील कर देता हैं
जीवन के मोह को छोड़ के मौत का चोला ओढ़ लेता हैं
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दो मुलाकात क्या हुई
हमारी तुम्हारी,,,
निगरानी मे सारा शहर
लग गया...!-
ग़ालिब आज फिर आसमान मे कोई तारा टुटा हैं
लगता हैं किसी बेवफा ने सच्चे आसिक का दिल
तोड़ा हैं...-
मित्रता वो शब्द बन के रह गया हैं
जो लोग एक दूसरे से काम निकालने
के लिए करते हैं
मित्रता हो तो कृष्णा और सुदामा जैसी हो,
जो निस्वार्थ भाव से हो।
मेरे तरफ से सारे मित्रगण को हार्दिक
शुभकामनाये...
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जहाँ सच ना चले
वहां झूठ ही सही
जहाँ हक ना चले
वहां दबंगई ही सही 😈-
महेफिल तुम्हारी होगी और
समा चाँद की होगी....
रोशनी तारों की होगी और
लोगो को इंतजार हमारा होगा।।-