15 DEC 2017 AT 7:35

काफ़ी मशक्कत से बचपना वापस आया,
खेलने को मुझे अब खिलौने नये चाहिए।

अज़ीम घर के तेरे दास भी कम नहीं हैं,
जख़्म-ए-मैदां को मेरे दवा नयी चाहिए।

तिरे जाने के बाद धूल ज़म गयी हर कोने
चेहरा देखने को मुझे आईना नया चाहिए।

इक ही चेहरे को देखकर ऊब सा गया हूँ,
इबादत के लिए मुझे मूरत नयी चाहिए।

- Rohit Nailwal©