मर रही है इंसानियत, दुनिया लगी है सोने में
गुज़र रही है ज़िंदगी, यूंही रोने धोने में
तू भी किसी को मानता होगा, ऐसे तू नादान ना बन
हिन्दू बन या मुसलमान बन, पहले तू इंसान बन !
सिसक रही है माएं बैठकर, कहीं अंधेरे कोने में
फ़ुरसत हो तो पूछना, क्या दर्द है किसीको खोने में
तू भी किसी का बेटा होगा, ऐसे ना हैवान बन
हिन्दू बन या मुसलमान बन, पहले तू इंसान बन !
-