एक बेक़रार सी बेचैनी है दिल में
क्या अब भी तू कहीं बसी है दिल में
लोग बसते हैं इक हसीं दुनिया में
और मेरे ग़मों की बस्ती है दिल में-
ढूंढता हूं हर जगह पर न मिली वो कहीं
क़ैद मेरी ऑंखों में अब वो उम्र भर होगी
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हर चेहरा बे-चेहरा है मेरे सपनों के आगे
हर चेहरे से हर रिश्ते से मुकर चले है हम
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भटक कर गर्दिश में हमको कोई सितारा न मिला
ख़्वाहिश भरी दुनिया में जीने का सहारा न मिला
है मुक़म्मल हर ज़िन्दगी तमाम दुनिया के लिए
मैं उस कश्ती में हूॅं जिसे कभी किनारा न मिला
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कई परिंदे घायल पड़े हैं ज़मीं पे
अब उड़ने को पर किसे दोगे?
दान कर दोगे तुम सब कुछ 'ज़ाफ़िर'
अपने उदासी का हुनर किसे दोगे?
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सुना हैं दिल तुम्हारा, बात तुम्हारी सुनता नहीं
हम उसको भी बहलाएँगे, तुम आओ तो सही
सब घरों में आज तूफ़ान उठ सा जा रहा हैं
हम आँधियों में घर बसाएँगे, तुम आओ तो सही
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when my relatives sudden occurred in a disastrous mood and did not left the house for a very long time.
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वक़्त हैं जो चंद लम्हों गुज़र जाएगा
ये नशा भी कुछ दिनों में उतर जाएगा
लोग बेवफ़ा करते हैं तो क्या हुआ?
दिल का बाग़ीचा भी फूलों से भर जाएगा
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दर्द कितने ही मिलें, सब बताऊँ क्या?
बताओं
दुनिया ख़त्म हो जाएगी,
गिनते-गिनाते दिलों के घाव
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गिले भी हैं और गिरे भी हैं
शिकवे भी हैं और सीखे भी हैं
न खून है न निशान, पर ये "ज़ख्म"
हरदम जले भी हैं और झेले भी हैं
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