क्यों खालिस इश्क़ में नजदीकियों की बात करती है दुनिया , इंतज़ार की नही करती ? क्यों रात में चाँद और कविताओं की बात करती है दुनिया , बेचैन करवटों की नही करती ? क्यों प्यार में इज़हार की बात करती है मगर खामोशी की नही करती ? दिल की बेताबी की बात करती है मगर उलझन की नही करती ? क्यों आँखों के इशारों की बातें होती है मगर आंसुओ की नही होती ? क्यों दिल में सवाल होते हैं और मोहब्बत जवाब नही देती ?
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