17 DEC 2017 AT 16:33

आसमां में उड़ना भी चाहती थी,
समन्दर में डूबना भी।
हवा में खोना भी चाहती थी,
बारीश में समाना भी।
रंगों को बिखेरना भी चाहती थी,
सुगंध को छेड़ना भी।
पर सपने इस कदर टूटे हमारे.....
कि न सपने देखना चाहती थी,
न जिंदगी जीना भी।

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