Riya  
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Engineer

अंजान से एक शहर से लिख रही
यकीनन कहानियां नही ज़हर लिख रही
Joined 8 September 2017


Engineer

अंजान से एक शहर से लिख रही
यकीनन कहानियां नही ज़हर लिख रही
Joined 8 September 2017
29 AUG 2022 AT 13:42

जब धीरे से हस्ती हो बारिश की बूंदों सी लगती हो
कैसे करू हाल ए दिल बयान तुम खामोशी में भी जचती हो

थोड़ा दिल का कहती हो ज्यादा दिल में रखती हो
क्यूं करू आजाद तुम्हे तुम तो दुवाओं में रहती हो

शूट सादा ही पहनती हो फिर भी उजाला लगती हो
जान लेती हो तुम आंखो के नीचे तील काला रखती हो

झुमके बिंदी और काजल में कयामत ढाती हो
करने दो इस महफिल को श्रृंगार तुम सादा ही सजती हो

जब जुल्फों को हल्के से सिरहाती हो आइने में खुद को निहारती हो
दिलकश या खूबसूरत तुम हर नकाब में भी जचती हो

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29 AUG 2022 AT 12:30

अब लिख नहीं पाती में
नज्मों को स्याही का होना जरूरी है क्या
बेजार है मेरी निंदे
रात सिरहाने को कोई ख़्वाब का होना ज़रूरी है क्या

सुरमई उजाले और रेशमी अंधेरे सुनो
मेरे किस्से के समियानों में दस्तक जरूरी है क्या
बड़ा खाली सा लगेगा सफर
संवरने के लिए कोई मंजिल जरूरी है क्या

लिहाज़ा तूफान लाता है ये दिल
भटकने को कोई रास्ता जरूरी है क्या
समंदर भी ऐब सा लगेगा
कैद होने को कफस का होना जरूरी है क्या

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2 MAY 2022 AT 18:57

मेरी कविताओं को बहार कहते हो
जानते हो मेरी लिखावटे मुझसे भी अंजान है

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28 APR 2022 AT 22:38

हथियार डाले हारे हुए थे लड़के
और वो हसीना बड़ी सिद्दत से लड़ रही थी

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12 APR 2022 AT 13:51

हर कोने से गुज़र कर देखा
मुझे हर बार आइना जूठा लगा

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21 MAR 2022 AT 2:42

किस मोड़ से गुजर रहे आप नही जान पाओगे
बस इतना तय है की सिर्फ वहा पोहचना है

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13 MAR 2022 AT 2:23

सच लगती है वो हर कहानियां
जो लोगो को सिर्फ कहानियां लगती है।

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9 MAR 2022 AT 23:10

कविताएं शेर गजलें आवारा लोगो का काम है
प्यार के क़फस में अक्सर इंसान लिखना भूल जाता है

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28 FEB 2022 AT 15:32

मासूमियत मजिद रास्ता बदल रही थी
जल्ली सी जिद्दी सी वो लड़की आज चुपचाप
खिड़की से चांद को तक रही थी

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24 FEB 2022 AT 11:27

जिसे चुभना था हाथो में वो कांटा गुलाब दे गया
किनारे घर जल रहा था मेरा पास में समंदर धरा ही रह गया

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