सुन रहीं हूं सबके ताने बाने,
आज मौका है , शायद कल ना आएगा...
ये जो हसीन आंखे है तेरी,
पानी की कुछ छींटे इनमे डालो तो सही, मेरी जान
क्योंकि , मेरी कामयामी का सूरज तुजसे देखा ना जाएगा
दुनिया मे सबसे नाज़ुक होता है,
एक पुरुष का गुरूर....
अपनी संदूक से काला चश्मा, निकालो तो मेरी जान,
कल तुम्हारा यही गुरूर टूटेगा, और तुमसे देखा ना जाएगा....
तुमने बनाएं है, कुछ दायरे सिर्फ मेरे लिए
सुकून से हो तुम , मानो मुझे हासिल कर के ...
सुनो, दवा की अपनी खुराखे बढ़ा लो मेरी जान...
क्योंकि ,अब मेरा पागलपन , तुज़से देखा ना जाएगा...
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