Ritu Joham   (Ritu ❤)
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Joined 16 April 2017


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Joined 16 April 2017
28 AUG 2021 AT 10:13

अब इश्क तो होने से रहा कम्बख्त
बस एक बहाना बनाकर ही रख लूँ मैं तुम्हें।

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6 JUN 2021 AT 1:35

मोहब्बत फिकी रह जाती अगर आंखे ना भीगी हो
हाथ खाली रह जाते गर वफा से ना थामा हो
तेरी तारीफ कर देते पर किसी ओर का दिल ना आ जाये
गुमनाम तुम अपने हो, मशहूर हुये तो बेगाने हो।

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6 JUN 2021 AT 1:13

क्यों ये सब बेगाना सा है
कुछ कमी सी है जो खलती
बंद कमरो में जीना क्या जीना है
सारे सवाल वो जिनके जवाब बस वो जानता है
क्या है भी तू कि नहीं ये बतला, इंसान से क्या चाहता है
वक्त सब जवाब देता है अब तक ना मिले मुझे
ये खेल तेरा तू ही पहचानता है।

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27 SEP 2020 AT 13:06

कुछ पलों पर बस नहीं चलता मेरा
संजो कर रखने की चाह में हाथों से फिसलते गये।

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19 AUG 2020 AT 15:15

घर होना क्या होता है?
घर की तलाश चलती रहती है
कभी तो किसी से मोह घर का,
सुकून का अनुभव करा देता है
कभी तो सबसे घिरे भी मन घर
को ढूंढता है।
एक चाय का प्याला और फिर उसपे
बारिश की झड़ी, और तेरा साथ।
सामाजिक बंधन सबको ना रास आते
खुल के रहना भी
हर किसी को नसीब कहां है।
बस सबसे दूर हाथ थामे
तेरी गलियां मैं चलता रहा।
कई दफा सोचा घर होना क्या होता हैं
खुद की और घर की तलाश जारी है।




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12 MAY 2020 AT 7:35

सदियाँ लगी जिस तक आने में,
तोड़ गया दिल कोई हिसाब नहीं है

चाहा और वो मिल गया,
जिंदगी की हकीकत है ये, कोई ख्वाब नहीं है

एक बार ओर पलट कर देख ले,
रह गए हो कुछ लमहे, जिनसा कोई सानी नहीं है

बोझ सी लगे जिंदगी,
कब सुकून है कब दर्द, इसका भी कोई हिसाब नहीं है।

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30 AUG 2019 AT 12:25

साजिश कहूँ तेरी या हसरतें तेरी
जो मुझ तक आ सिमट गई।
रिश्ते की डोर जो जरा कच्ची थी
मुझसे मिल वो सुलझ गई।
ख्वाहिश ना थी हकीकत थी तेरी
तुझसे मिल तुझमें घुल गई।

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15 JUN 2019 AT 1:38

लफ्ज ना कह सके जो, इजहार फिर भी करते गये।
खामोशियों को आवाज क्या मिली,
जैसे कोई दुआ कहीं मंजूर हुई।

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15 JUN 2019 AT 1:23

कुछ पलों का कारोबार क्या जिंदगी खूब करती है
लम्हें सहम जायें इस कदर कहर करती है
देकर कुछ सुकून के पल फिर जुल्म करती है
जिंदगी जो भी करती है क्या कहर करती है।

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20 MAY 2019 AT 23:20

कुछ पल ठहर जो फिर चल दिये
मुसाफिर थे हम जो तेरे शहर में
रिहा खुदी को कर हम फिर चल दिये।

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