Ritika Vaish   (©Jheeni)
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Joined 1 December 2017


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25 MAY 2022 AT 22:55

एक सपना था उन गलियों में
कोई अपना था उन बस्तियों में

चप्पलें थी पैरों में मगर
जूतों से भी तेज दौड़ा था

वजूद था वो मेरा
जो मुझसे जुड़ा करता था ...

दफ़्न है आज वो
पंछी बंद पिंजरे सा

अपनाकर नए मोहल्लों को
वो रह गया किराएदार सा

वजूद था वो मेरा
जो मुझसे जुड़ा करता था ...

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2 MAY 2022 AT 19:32

मेरे घर के बाहर आतिशबाजियों का माहौल है
लगता है ईद का चाँद नजर आया है...

ईद का चाँद मुबारक

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17 APR 2022 AT 18:49

सपना देखना अपने ही सिखाते हैं
बाकी सब तो बस नीचा दिखाते हैं
कुछ दूरी जरूर होती है अपनों से
उस सपने को पाने में

पर पूरा करने की जिद्द भी तो
अपनों से ही आती है
दूरियों से अपने नहीं रूठा करते
सपनों से अपने नहीं छूटा करते

पूरा कर सपनों को राही
घर को ही लौटता है
खुशियां वो अपनी नहीं
अपनों की ही सपनों में संजोता है

उम्र निकल जाती है
उन सपनों को पाने में
पूरा कर उन सपनों को
खुशियां अपनों की जुटाने में

आसान नहीं होता दूर
अपनों से रहना
मां की रोटी और आंगन घर का
छोड़ किसी परदेश में बसर करना

तकलीफ उसे भी होती है
वह भी अकेले रोता है
जब भी वो आँखे बंद कर
सपनों में अकेले सोता है...

©झीनी

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11 MAR 2022 AT 7:53

हम जिनके करीब थे
वो किसी और के करीब हो गए
और! जो हमारे करीब थे
उनके तो दिल गरीब हो गए...

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21 FEB 2022 AT 19:02

For all the women

Sometimes it feels like to being a housewife is a better option than a working wife. As on being a housewife atleast you can expect from your better half while as a working wife everyone expect from you only...

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9 FEB 2022 AT 8:30

किसी ने पूछा क्या पाया तुमने अब तक?
न पैसा, न शान-शौखत, न रुतबा, न जलवा, न मोहब्बत, न महफ़िल, न जलसा

मैंने हँस कर कहा- तजुर्बा ...

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2 FEB 2022 AT 8:45

एक होती है इज्ज़त
और
दूसरी दिल से इज्ज़त
जो करवाई नहीं जाती
कमाई जाती है ...

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1 FEB 2022 AT 21:22

गर चर्चा न हो तो जीना कैसा
आईना हो बिन अक्स जैसा...

जिंदा है तो चर्चा भी होंगी
मरकर तो सिर्फ यादें बस जएँगी...



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31 JAN 2022 AT 22:15

तनहाईयों में थे जो कल,
वो आज कहीं बस गए...

महफिलों में रहने वाले,
आज तन्हा ही रह गए...

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31 JAN 2022 AT 22:00

सब आशिक़ों के घर बस गए ...
बस एक हम हैं जो तन्हा रह गए ...

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